वो भारत देश है मेरा
जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा
जहाँ सत्य, अहिंसा और धर्म का
पग-पग लगता डेरा
ये धरती वो जहाँ ऋषि मुनि
जपते प्रभु नाम की माला
जहाँ हर बालक एक मोहन है
और राधा हर एक बाला
जहाँ सूरज सबसे पहले आ कर
डाले अपना फेरा
अलबेलों की इस धरती के
त्योहार भी हैं अलबेले
कहीं दीवाली की जगमग है
कहीं हैं होली के मेले
जहाँ राग रंग और हँसी खुशी का चारों ओर है घेरा
जब आसमान से बातें करते
मंदिर और शिवाले
जहाँ किसी नगर में किसी द्वार पर
कोई न ताला डाले
प्रेम की बंसी जहाँ बजाता है ये शाम सवेरा
– राजेंद्र किशन
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